nirbhaya case no process like asking the last wish before hanging – Nirbhaya Case: अंतिम इच्छा पूछने जैसी कोई प्रक्रिया नहीं, कैदियों के परिजनों को दी जा चुकी है सूचना

Nirbhaya Case: तिहाड़ जेल में बंद निर्भया कांड के दोषी कै दियों को फांसी देने की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। फांसी के पहले इन कैदियों की चिकित्सा जांच की जाएगी। इसमें फिट पाए जाने पर ही उन्हें फांसी दी जाएगी। इसके अलावा यह भी देखा जाएगा कि कैदी को फांसी देने के लिए तैयार तख्त पूरी तरह ठीक है या नहीं। इसका फांसी के एक दिन पहले पूर्वाभ्यास भी किया जाएगा जिसमें बालू भरी बोरी को लटका कर देखा जाएगा। फांसी के बाद पोस्टमार्टम भी किया जाएगा। नियम के तहत तय प्रक्रिया न अपनाए जाने की सूरत में कैदी के परिजनों को मुआवजा पाने का हक भी होता है। इसमें कैदियों की अंतिम इच्छा पूछने जैसी कोई प्रक्रिया नहीं है।

तिहाड़ जेल में लंबे समय तक लॉ अधिकारी के पद पर काम कर चुके सुनील गुप्ता ने जनसत्ता से बातचीत में बताया कि किस तरह से फांसी की प्रक्रिया पूरी की जाती है। मौत की सजा पाए कैदी का विशेष खयाल रखा जा रहा है और इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि फांसी के दौरान कैदी को शारीरिक कष्ट ज्यादा न होने पाए। जेल की ओर से कैदियों के परिजनों को इसकी सूचना दी जा चुकी है। जेल अधिकारियों की ओर से उनकी अंतिम मुलाकात की व्यवस्था की जाएगी। अगर कैदी चाहेंगे तो उसकी इच्छा के अनुसार उसकी वसीयत तैयार करने की अनुमति दी जाएगी। इस आशय का बयान उप अधीक्षक की ओर से दर्ज किया जाएगा। कैदियों को फांसी सुबह दी जाएगी।

फांसी के लिए मोम या मक्खन लगी रस्सी का सावधानीपूर्वक परीक्षण किया जाता है। फांसी से पहली रात एक डमी या रेत की बोरी को कैदी की तर्ज पर फांसी के फंदे पर लटका कर परीक्षण किया जाएगा। जेल नियमावली के मुताबिक बोरी की वजह कैदी के वजन का एक से डेढ़ गुना अधिक होगा। इसके लिए बोरी को फंदे में लटका कर तख्ते के नीचे बने गड्ढे 1.830 और 2.440 मीटर के बीच गिराया जाएगा। मौत की सजा प्रत्येक कैदी के लिए दो अतिरिक्त रस्सियां भी होंगी। ताकि किसी गड़बड़ी में इनका इस्तेमाल हो सके।

जेल अधीक्षक मजिस्ट्रेट को सूचित करेगा कि वह कैदी को पहचान रहे व कैदी के वारंट को उस भाषा में पढ़ेंगे जिसे कैदी समझता है। कैदी को तख्ता नहीं दिखाया जाता। एक रुमाल के इशारे से लीवर खींचने का आदेश दिया जाता है। जिससे तख्ता हट जाता है। करीब दो घंटे बाद शव का परीक्षण किया जाता है। गुप्ता ने बताया कि अब तो पोस्टमार्टम का भी प्रावधान कर दिया गया है। जिसमें देखा जाता है कि फांसी के नियमों का पालन किया गया या नहीं। सुनील गुप्ता ने बताया कि अगर गले की तीन में से एक हड़्डी टूटी है तभी उसे सही माना जाता है। अगर तीनों हड्Þडी टूटीं तो इसका मतलब कि कैदी को फांसी के समय ज्यादा तड़पना पड़ा या फांसी के रस्सी या गड्ढे का अनुपात सही नहीं था। अगर ऐसा हुआ तो कैदी के परिजन मुआवजे का अधिकार रखते हैं।

नए कपड़े पहनाकर दी जाएगी फांसी

सुनील गुप्ता ने बताया कि उन्होंने अपने 35 साल के कार्यकाल में आठ फांसी देखी हैं। लेकिन किसी में भी कैदी की अंतिम इच्छा जैसा कुछ नहीं पूछा गया। उन्होंने बताया कि ऐसा इसलिए कि कैदी कहीं ऐसी मांग न कर दे जिसे पूरा करना संभव न हो, जबकि जेल के प्रवक्ता राजकुमार का कहना है कि अंतिम इच्छा का प्रावधान है। लेकिन इस मामले में कैदियों की इच्छा पूछी जाएगी या नहीं अभी तय नहीं है। कैदी सुबह नहाना चाहें तो नहा धोकर पूजा कर सकते हैं। उसके बाद उन्हें नाश्ता वगैरह दिया जाता है। फिर नए कपड़े पहनाकर उनके हाथ पीछे बांध देते हैं। फिर उन्हे फांसी के तख्ते की ओर ले जाया जाएगा। जहां काले नकाब से चेहरे को ढक दिया जाता है। इसके बाद जल्लाद उनके दोनो पैर बांध देते हैं।

प्रतिभा शुक्ल

Hindi News से जुड़े अपडेट और व्‍यूज लगातार हासिल करने के लिए हमारे साथ फेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल के साथ लिंक्डइन पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App




The post nirbhaya case no process like asking the last wish before hanging – Nirbhaya Case: अंतिम इच्छा पूछने जैसी कोई प्रक्रिया नहीं, कैदियों के परिजनों को दी जा चुकी है सूचना appeared first on Khabar Bollywood.



source http://www.khabarsbollywood.com/nirbhaya-case-no-process-like-asking-the-last-wish-before-hanging-nirbhaya-case-%e0%a4%85%e0%a4%82%e0%a4%a4%e0%a4%bf%e0%a4%ae-%e0%a4%87%e0%a4%9a%e0%a5%8d%e0%a4%9b%e0%a4%be-%e0%a4%aa%e0%a5%82/
Post a Comment (0)
Previous Post Next Post